जयपुर, अपने आप में ही सारी दुनिया को समाने का मद्दा रखता
है ये शहर| जयपुर कोई नया नहीं है मेरे लिए और न ही मैं नया हूँ इस शहर के लिए| आप
जब अपने बनने की प्रक्रिया में होते है तो ऐसी कई बातें होती हैं जिसकी वजह से आज
आप ‘आप’ बने हैं, और मैं आज जो कुछ भी हूँ, इस शहर की भी एक भूमिका है इसमें|
मैं जब राजस्थान आया तो बहुत ही बेचारा सा था, दुनिया की बातों से अनजान था, मेरा
गलती से सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ राजस्थान में सिलेक्शन हुआ और मैं बिना कुछ सोचे
समझे अपना झोला उठा कर यहाँ आ गया| आ तो गया था पर जब देखा की दुनिया की रेस में
बहुत पीछे खड़ा हूँ तो समझ नहीं पा रहा था की कैसे खुद को इस काबिल बनाऊ के बस पीछे
ही न रह जाऊं| मैंने अपने लाइफ का पहला dslr कैमरा भी यहीं देखा था, राम का था|
मैं देख कर हैरान हो गया ये कैसा कैमरा है| पहली ppt प्रेजेंटेशन मैंने यहीं आकर
दी थी और यकीन मानिए, बहुत ही वाहियात थी, तब तो लैपटॉप भी नहीं हुआ करता था मेरे
पास| कुछ ऐसे लोगों से मिला यहाँ बहुत
बेहतरीन थे|
खैर, आपको अपनी बातों से बोर नहीं करूँगा, अगर आपने मेरी विडियो
देखी है instagram पर तो आप जानते होंगे की फिलहाल मैं एक नये सफ़र में हूँ| मेरी PhD
का कुछ काम था तो मैंने 2-3 महीनों के लिए
छुट्टी ले ली और जयपुर आ गया| जयपुर में वैसे कोई रहने की दिक्कत नहीं थी, बहुत से
दोस्त यार हैं यहाँ लेकिन मैंने सोचा एक ऎसी जगह को बसेरा बनाया जाए जहाँ खुद से
एक बार फिर से मुलाक़ात कर पाऊं| पिछला साल कुछ अच्छा नहीं गया था मेरा, बहुत से
ऐसे लोग चले गये जिनके जाने की उम्मीद नहीं थी| मैंने यहाँ Moustache नाम के
ट्रेवल हॉस्टल में बात की, बोला की आपके लिए बहुत काम का बन्दा हूँ मैं, रख लो कुछ
महीनों के लिए और बस रहने की जगह दे दो| बस फिर क्या था, थोड़ी बहुत बातें हुई और
मुझे यहाँ रहने की जगह मिल गयी, वो भी बिलकुल मुफ्त में, टैलेंट हैं अपना, क्या
कहें|
मैंने पिछले कई सालों में जब भी ट्रेवल किया , ट्रेवल
हॉस्टल में ही रहा| मैं अक्सर बोलता आया हूँ की जब आप एक अनजान सफ़र पर होते हैं तो
सबसे ज्यादा सम्भावना होती है की आप खुद को ढून्ढ ले, शहर की भेडचाल में हम अपने
को कब खो देते हैं पता ही नहीं चलता और फिर देखते ही देखते बस हम सबसे ज्यादा खुद
को ही मिस करने करने लगते हैं| मेरा पहले दिन हॉस्टल में बहुत ही बढिया था| अलग
अलग देशों के लोगों से मिलना, उनकी संस्कृति को समझना, उनसे बहस करना, उनके साथ
दोस्ती करना और फिर साथ बैठ कर दारु पीना, अलग ही एहसास देता है| मेरे हॉस्टल में
अर्जेंटीना का एक कपल ठहरा हुआ है, जब बात हुई तो पता चला की पैसों की बातों में वहां
की हालत हमारे भारत जैसी ही है| मैंने उन्हें अपनी दोनों बहनों की शादी की फोटो और
विडियो दिखाई, उन्हें काफी अच्छा लगा| वो ये जानकर हैरान थे की कैसे हमारे यहाँ एक
लड़का और एक लड़की बिना एक दुसरे को जाने घरवालों की मर्ज़ी से शादी कर लेते हैं|
कैसे एक पूरा परिवार (वैसे परिवार क्या ही बोलूं, भारत के बड़े परिवालों को तो पूरा
का पूरा मोहल्ला ही घोषित कर देना चाहिए) शादी में जी जान लगा देता है| हम कैसे
पूजा पाठ करते है और कैसे कसते क नाम पर लोगो को निचा दिखाते हैं| वैसी ही बातें उन्होंने
मुझे अर्जेंटीना की बारे में बताई| जैसे हमारे यहाँ क्रिकेट को धर्म की तरह माना जाता है, वैसे ही अर्जेंटीना में
फुटबॉल को धर्म का दर्जा दे दिया गया है|
दूसरी कहानी है एक जापानी दिखने वाले ऑस्ट्रियन बंदे की|
मैं अपने रूम में घुसा और वो मेरे पास आया, और बातें करने लगा, बातों बातों में ही
मैंने उससे पुछा की कहाँ से हो, उसने बोला तुम्हे क्या लगता है मैं कहाँ से होऊंगा?
मैंने बोला कह नहीं सकता और फिर उसने बताया की वो ऑस्ट्रेलिया से है| उसने बोला के
अक्सर लोग ये समझ लेते है की या तो वो चाइना से होगा या जापान से आया होगा| उसे जयपुर देखना था तो मैंने बोला चल मेरे साथ, मैं दिखाता हूँ
जयपुर| हम अगले दिन सुबह सुबह निकले| सबसे पहले नाहरगढ़ किले पर गये| लगभग 300 पुराने
इस किले की बात ही कुछ और है, सारा जयपुर दिखता है यहाँ से| मैं जब जयपुर में था
तो मेरी सबसे पसंदीदा जगहों में से एक था ये किला| ढलती हुई सांझ को अगर सुकून से निहारना
हो तो आप यहाँ आ सकते हैं| पुरे दिन मैंने और रेशे ने जयपुर की गलियों की छान
मारते हुए निकाल दी| थक कर वापस हॉस्टल आये और सो गये| ये जो होटल है moustache, यकीन
मानिए, बड़ा ही मस्त हॉस्टल है, यहाँ की हवा में ही कुछ बात है| यहाँ इस बात का
एहसास तक नहीं होता की कोई आपको जज करेगा| आप जैसे हैं, और जैसे रहना चाहते हैं,
वैसे रहिये|
चलिए आज के लिए इतना ही काफी है, अगली कहानी किसी और दिन
किसी और कड़ी के साथ|
No comments:
Post a Comment