Monday, September 2, 2019

किस्सा कहानियों का: पहली कड़ी।


कहानियाँ जिंदगी का अटूट हिस्सा होती हैं। कहानियों में ही हम और आप खुद को ढूंढते है। बचपन से ही हम कहानियों के शौकीन रहे है। मुझे भी हमेशा से ही कहानियों ने अपनी तरफ आकर्षित किया है। काफी दिनों से मैं एक कहानी पर काम कर रहा था। अब जाकर मेरी कहानी हो आकार मिला है। ये कहानी है विकास और नेहा की। विकास झल्ला है और नेहा शांत। कहानी कई हिस्सों में आगे बढ़ती है। कहानी का पहला हिस्सा आपके सामने है। अगला हिस्सा कुछ दिनों में आपसे सांझा करूंगा।

पहली कड़ी

ट्रेन धीरे धीरे अपनी गति कम कर रही थी। 3 दिन से भाग दौड़ से इतना थक गया था विकास की सोने का वक़्त ही नहीं मिला। थके भी क्यों न, 3 दिन में 5 शहर जाकर आना मामूली बात थोड़े न है। अपनी जिंदगी में इतना उलझ चुका था की अब इसी को नियति भी मान बैठा था। सोचता की जो हो रहा होने दो, देखते है कब तक होता है। दिल्ली आने वाली थी और उसे भी यही उतरना था पर इतनी गहरी नींद में सोया था की आज तो किसी और स्टेशन पर ही उतरेगा।

भाई साब, ओ भाई साब, दिल्ली आ गयी, यही उतरना है न आपको। एक आदमी विकास को उठाने की कोशिश कर रहा था। रात को नीचे वाले को बोल कर सोया था की भईया दिल्ली आए तो प्लीज उठा देना। अरे उठो भाई दिल्ली आ गया।

, हाँ-हाँ,  आ गया दिल्ली, इतनी जल्दी क्यों आ गया। विकास नींद में बोला। फिर अपनी पूरी ताकत लगा कर उठ कर बैठ गया। नींद में ही जूता पहना, फिर धीरे से अपना बैग कंधे पर डाल कर नीचे उतर गया। घड़ी में वक़्त देखा तो सुबह के 3:15 बज रहे थे। उसकी फ्लाइट रात की थी, दिन भर के लिए उसने होटल बुक कर रखा था। वैसे घर है उसका दिल्ली में, लेकिन वहाँ नहीं जाना चाहता था। एक दिन पहले एक दोस्त को फोन किया था पर वो दिल्ली में नहीं था तो विकास ने होटल में कमरा लेना ही ठीक समझा। अब कौन घर जाये, फालतू के इतने सवाल होंगे। उसे होटल में चेक इन 8 बजे करना था तो तब तक क्या करता, इतनी सुबह कहीं और जा भी नहीं सकता था तो वही एक बेंच पर बैठ गया। नींद में ही बेंच पर बैठकर पॉकेट से फोन निकाला और एक मैसेज टाइप करने लगा, I reached Delhi, मैसेज टाइप करके भेजने ही वाला था की अचानक से ठिठक गया।

अरे, ये क्या कर रहा था मैं, नेहा को मैसेज कर रहा था। खुद से बोल कर सोचने लगा। नेहा का ख्याल आते उसकी नींद पूरी तरह खुल चुकी थी। 6 महीने पहले तक नेहा और विकास साथ थे। 6 महीने पहले तक विकास नेहा के लिए सब कुछ था। 6 महीने पहले तक विकास को नेहा पर इतना ज्यादा यकीन था की चाहे कुछ भी हो जाये वो उसे कभी नहीं छोड़ेगी। लेकिन फिर चीज़ें ऐसे बिगड़ी की आज विकास और नेहा के बीच दूरियाँ इतनी आ चुकी है की शायद अब एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करेंगे। हालात ये हो चुके थे की विकास ने नेहा को अपने बर्थड़े वाले दिन मैसेज कर दिया की मरते दम तक अब वो उसका चेहरा नहीं देखना चाहता। 6 सालों में पहली बार ऐसा हुआ था जब नेहा ने विकास से उसके जन्मदिन के दिन बात नहीं की। और फिर उसके बाद जो थोड़ी बहुत व्हाट्स अप्प पर बातें होती थी, वो भी बंद हो गयी।

6 साल पहले नेहा और विकास पहली बार कॉलेज में मिले थे। विकास एक छोटे से शहर से निकल कर पहली बार कॉलेज में गया था। वहाँ की दुनिया उसके लिए बहुत नयी थी, लोग बहुत नए थे। विकास ने बहुत जल्द खुद को नए माहौल में ढाल लिया था। विकास और नेहा दोनों ही अलग अलग डिपार्टमेंट से थे। नेहा ने पहली बार विकास को कॉलेज एक म्यूजिकल प्रोग्राम में देखा था। तब उसे पता नहीं था की विकास नेहा की क्लास में पढ़ने वाले एक लड़के, अमित, का रूममेट है। विकास की कभी भी अपने क्लास वालों से नहीं बनी इसलिए वो हमेशा दूसरे डिपार्टमेंट वालो के साथ रहता था। विकास ने नेहा को पहली बार तब देखा और जाना था जब अमित ने बोला की उसकी क्लास की एक लड़की घर से आई है और साथ में बहुत सारा खाना भी लायी है। विकास को सिर्फ खाने से मतलब था तो वो अमित के साथ उस लड़की के पास चला गया और बेशर्मों की तरह उस लड़की के खाने के सामान में अपनी मतलब की चीज़ें देखने लगा। पहली बार उसे नेहा का नाम भी वही पता चला था। उस वक़्त उन दोनों को ही नहीं पता था की इतने साल साथ बिता देंगे एक साथ। उस दिन के बाद से विकास नेहा को जब भी देखता, उसे अजीब-अजीब नाम से बुला कर चिढ़ाता।
एक दिन नेहा ने उससे पुछ ही लिया:

तुम मुझे अजीब अजीब नामों से क्यों बुलाते हो? नाम नहीं पता क्या तुम्हें मेरा?
पता है ना, पर ऐसे ही बुला लेता हूँ, क्या फर्क पड़ता है? नाम ही तो है। विकास इतना कह कर हँसता हुआ चला गया।

विकास झल्ला था। चीज़ें समझ नहीं आती थी उसे। सब से एक ही जैसे बातें करता था। कुछ ही दिनों में विकास और अमित को पूरा कॉलेज जानने लगा था। धीरे धीरे विकास और नेहा की दोस्ती भी हो गयी और फिर ये दोस्ती से बेस्ट फ़्रेंड्स में कब बदल गयी पता भी नहीं चला। विकास के लिए सब एक जैसे ही होते थे। शायद नेहा भी। वो सब से ऐसे ही मिलता जैसे नेहा से। नेहा के लिए विकास धीरे धीरे बेस्ट फ़्रेंड् वाले जोन से निकल कर खास होने लगा था पर ये बात भी विकास को समझ नहीं आ रही थी। विकास तो अपनी धुन में ही मस्त था।

विकास और अमित ने अपना एक पूरा परिवार बना रखा था कॉलेज में ही। उस परिवार में भाई थे, बहनें थीं। कॉलेज शुरू हुये 6 महीने हो चुके थे और इतने ही महीने हो चुके थे विकास और नेहा को मिले हुये भी।

कॉलेज के 1.5 साल अभी बाकी थे और कॉलेज के बाहर 4 साल और काटने वाले थे दोनों साथ। कहानी बहुत हिस्सों में खुद को लेकर जाती है। अभी बहुत किरदारों का जुड़ना बाकी है। इंतज़ार कीजिये अगली कड़ी के आने का।


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