आमतौर पर मैं English में लिखना पसंद करता हूँ, पर
पिछले ब्लॉग में एक सज्जन ने कहा था जरा हिन्दी में भी लिखा करे, तो बस आज सोचा क्यों न हिन्दी में लिख कर उन्हे खुश किया
जाये। अब आपको पढ़ने वाले खुश रहेंगे तो इस में आपकी भलाई भी तो है। वैसे इस बार
फिर बात वही अटक गयी थी की क्या लिखा जाये। कुछ दिन पहले हरिद्वार-ऋषिकेश जाने का
मौका मिला था तो चलिये वहीं की बात सुनाता हूँ। हरिद्वार और ऋषिकेश कोई बहुत दूर नहीं बसे हैं, ना ही वहाँ तक पहुँचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है।
अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के है तो मामला और भी आसान हो जाता है। कुछ दिन पहले
एक साथ 4-5 छुट्टियाँ आई थी... बस फिर क्या था, निकल लिए हम भी अपना बैग और कैमरा उठा कर। ट्रेन की टिकट
पहले ही करवा रखा था पर कमबख्त भारतीय रेल कभी टाइम पर आई है क्या। पीटीए चला मेरी
ट्रेन 7 घंटे की देरी से चल रही, फिर क्या क्या था... सामने
दूसरी ट्रेन खड़ी थी, उसके टीटी से बात की और चढ़
गया। ट्रेन देर रात 2:30 बजे हरिद्वार पहुँचने वाली थी तो सोना तो वैसे भी नहीं था
मुझे, पहले भी कई बार सोते सोते किसी और स्टेशन
पहुँच चुका हूँ।
हरिद्वार
हरिद्वार पहुँच चुका था,
स्टेशन से बाहर निकल कर रिक्शा किया और चल पड़ा हरकी पौड़ी की तरफ। ठंड बहुत थी, तेज़ हवाए और दूर से पानी की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी। सड़क
के किनारे लोग आग ताप रहे थे। एक बात तो है,
हरिद्वार पहुँचते ही एक गजब का एहसास होता है। दूर से ही गंगा अपने पूरे शोर के
साथ बहती हुई सुनाई देती है। मैं हरकी पौड़ी के बाहर रुक गया और वही सड़क के किनारे
रुक कर चाय पीने लगा। रात के 3 बज रहे होंगे पर लोग भी खड़े थे। चाय पीकर मैं हरकी
पौड़ी के तरफ चल दिया। ब्रिज पर पहुँच कर देखा तो रोंगटे खड़े हो गए। लोग इतनी सुबह
गंगा के ठंडे पानी में नहा रहे थे। मैं बस उन लोगो को देख रहा था, भाई सुबह के 3 बज रहे है और ये लोग इतने ठंडे पानी में नहा
रहे। आखिर चलता क्या है इनके दिमाग में। खैर मुझे क्या, मैं अपना कैमरा निकाला और आगे बढ़ गया। एक अजब सा एहसास
होता है वहाँ। गंगा का शोर शोर जैसा नहीं लगता,
लोगो को ठंडे पानी में भी सुकून मिलता दिखता है, लोग
आफ्नो की शांति के लिए वहाँ हवन करते देखे जा सकते थे। कुछ शॉट लिए मैंने फिर आगे
बढ़ गया। एक बात तो है, गंगा का एक किनारा जहां
शांति देता है, वहीं दूसरे किनारे पर गंदगी
का अंबार लगा देखा जा सकता है। प्लास्टिक्स,
अगरबत्ती के डिब्बे, कचरे...मैंने सोचा आखिर इस
तरफ किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता। यह भारत है साहब, यहाँ धर्मस्थल के बारे में कुछ बोलना खुद को मुसीबत में
धकेलना जैसा हो सकता है। मैं अपने क्रांतिकारी विचारों को साइड में रख कर आगे निकल
गया। देखते ही देखते 6 बज चुके थे,
मेरे कैमेरे की बैटरि जवाब दे चुकी थी तो मैं हरकी पौड़ी से बाहर की तरफ आया और एक
ढाबे पर जाकर बैठ गया। हरिद्वार में मेरे लिए और कुछ नहीं था, मैं ढाबे पर बैठ कर लोगो को देख रहा था। लोगो से पता चला यहा से ऋषिकेश के लिए ऑटो मिल जाती है, करीब 7:30 बजे मैं हरिद्वार से ऋषिकेश के लिए निकल गया।
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Early morning shot, Harki Paudi |
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My companions |
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Welcome to Haridwar |
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clock |
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The cold water of Ganges |
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That night |
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Lights |
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Chaai time |
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The bridge |
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Being wanderer |
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being wanderer |
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Ghaat |
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Waiting for the customer |
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Beliefs |
ऋषिकेश
ऋषिकेश मुझे बहुत पसंद है। यहाँ की हवा और फिजा में कुछ
घुला है शायद। मैं 5वी बार ऋषिकेश में था पर फिर भी हर बार कुछ नया ही लगता था।
हाँ, इसके पहले जितनी बार गया था, किसी आश्रम में रुका था तो इस बार सोचा ऋषिकेश को दूसरी
तरफ से देखते है। मैंने booking.com से अपने लिए हॉस्टल में एक बेड बूक किया।
The Hosteller, मैंने सोचा नहीं था ये जगह
मुझे एकदम ही नया एहसास देगी। हॉस्टल लक्ष्मण झूला के पास था तो वह तक पहुँचने में
ज्यादा वक़्त नहीं लगा। हॉस्टल पहुँच के अपने रूम में गया और सो गया। जब नींद खुली
तो दिन के तीन बज चुके थे। मेरे रूम में 4 बेड थे। मेरा बेड सबसे नीचे था। मेरे
सामने वाले बेड पर एक रशियन था, बाकी का पता नहीं। शाम को
मैं परमार्थ निकेतन चला गया। वहाँ की आरती मिस नहीं करना चाहता था। परमार्थ निकेतन
के सामने होने वाली आरती बहुत ही फ़ेमस है और बहुत से लोग आते है देखने। जब आरती
शुरू हुई तो सब शांत होकर बैठ गए। मैं अक्सर कहता हूँ की अकेले घूमने का मतलब ये
नहीं आप अकेले ही रहेंगे, आपको आपकी तरह के बहुत से
लोग मिलेंगे। परमार्थ निकेतन के पास मुझे एक लड़का मिला, निशांत, जो की मेरी तरह ही अकेला
घूमने निकला था। मैं और निशांत काफी देर तक घूमते रहे और फोटोग्राफी करते रहे, फिर बातों बातों में ही अगले दिन राफ्टिंग पर जाने की बात
हो गयी। उसने बात की थी किसी से तो बस, यही
फ़ाइनल हुआ की अगले दिन सुबह 7 बजे राफ्टिंग के लिये निकलेंगे। ट्रैवल हॉस्टल की बात ही कुछ और होती है। सब अपनी जिंदगी
जीने आते है। हॉस्टल पहुँच कर मैं काफी लोगो से मिला। करीब करीब 18 लोग थे, 3 USA के, 2 Australia, 1 Switzerland, 3 Spain और बाकी इंडिया के। हॉस्टल में
एक कॉमन रूम था जहां सब बैठ कर बात कर सकते थे। कॉमन रूम में मुझे एक बंदा मिला, शायद मुंबई का था। उसके साथ काफी बातें हुई। चुकी अगले दिन
मुझे राफ्टिंग के लिए जाना था तो मैं खाना खाकर सो गया। अगले दिन मैं निशांत राफ्टिंग
के लिए निकाल गया। मैं जितनी बार ऋषिकेश आया हूँ, उतनी
ही बार राफ्टिंग भी किया है मैंने। I will not write about my rafting experience here, I have
made a vlog on rafting...please watch that on my YouTube channel.
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Parmaarth niketan aarti |
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the devotee |
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Faith |
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Few from hostel |
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Rafting |
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Pooja at hostel |
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See the excitement |
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OM |
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Jai ho |
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New buddies |
16 km का स्ट्रेच आपको बहुत थका देता है। अब मैं सिर्फ आराम करना
चाहता था। राफ्टिंग के बाद वापस हॉस्टल जाकर सो गया। शाम को नींद खुली तो देखा किसी
पूजा की तयारी चल रही थी। सबसे अच्छी बात ये थी की जीतने भी विदेश के थे वो भी बहुत
खुश थे की अब कुछ नया देखने को मिलेगा। हम सभी पूजा में साथ ही बैठे थे। पूजा के बाद
हम सब जाकर कॉमन रूम में बैठ गए। रात के करीब 10 बज रहे होंगे, कॉमन रूम में बैठे एक बंदे ने कहा चल यार कुछ तूफानी करते है।
अबे रात के 10 बज रहे है और ठंड भी है, क्या
तूफानी करना है अभी, मैंने कहा उसे। हमारे हॉस्टल
में एक स्विमिंग पूल था। उसने कहा चल नहाते है। भाई बहुत ठंड है और रात के 10 बज रहे
है, मैंने बोला उसे पर वो नहीं माना। ठीक है फिर
चल चलते है। मतलब रात के 10 बजे मस्त ठंड में मैं और वो नीचे स्विमिंग पूल में नहाने
चले गए। मैं वो एहसास नहीं भूल सकता। करीब आधे घंटे तक हम स्विमिंग करते है। हाँ, ऐसी बहुत सी बातें है जो मैंने लिखी नहीं है अभी, अगर लिखने बैठा तो ये ब्लॉग बहुत ही बड़ा हो जाएगा और शायद बोरिंग
भी। तो मैं कुछ videos भी शेयर करूंगा इस ब्लॉग में, आप चाहे तो देख सकते है।
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Hostel mates |
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Hoatel mates |
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Hostel entry point |
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Common room |
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Yummy |
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Traveler |
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Rafting |
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khana zindgi hai |
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Russian vodka gifted by friend |
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The soup was so tasty |
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The stranger |
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group of nomads |
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chaai zindgi hai |
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Hostel |
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Common room |
अगले दिन भी भी मैं वही था, खूब
सारी मस्ती की, नए दोस्त बनाए और पागलपनतियाँ
भी की। अगले दिन मेरे जाने का वाट हो चुका था, मेरे
रूम में जो रशियन था उससे मेरी दोस्ती हो चुकी थी। जाते जाते उसने मुझे एक रशियन वोड्का
गिफ्ट किया और मैंने उसे अपना एक कुर्ता। ऋषिकेश मुझे हमेशा एक नया एहसास देता है।
अगर आप नहीं गए है तो एक बार जरूर जाना, अच्छा
लगेगा।
Links
Rafting
https://www.youtube.com/watch?v=H8ut9imouw4&t=19s
Haridwar
https://www.youtube.com/watch?v=xgAFtBNWQ9I&t=14s
Very nice sir
ReplyDeleteSir it's amazing... While reading I feel myself in the holy place of Haridwar. You r grt... I also want to be like you...
ReplyDeleteAwsm sir
ReplyDeleteGreat ..keep it up
ReplyDeleteExpressed so well.. Keep it up.. Travelling n writtting
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