Nationalism on Social media: The Side Effects...!
मैं आजकल जहाँ भी जाता हूँ , भारत-पाकिस्तान की बातें ही हो रही होती है। जितने भी लोग हो , सब अपनी रणनीति बनाने में लगे रहते है। ऐसा कर देंगे तो वैसा हो जाएगा , भारत को अब पाकिस्तान के ऊपर परमाणु बम गिरा ही देना चाहिए , लाहौर पर कब्जा कर लेते है , वगैराह- वगैराह। मैं मानता हूँ की देशभक्ति कूट कूट कर भरी है , मैं मानता हूँ की सब बदला लेना चाहते है , मैं ये भी मानता हूँ की आज हम जिस नए भारत की बात कर रहे है , उसकी नीव सोशल मीडिया पर ही रखी गयी है। मैं नहीं समझ पा रहा था की आखिर क्या बोलू , क्योंकि इस गरम माहौल में लॉजिकल (मेरे लिए लॉजिकल , हो सकता है आपके लिए बेतुकी हो) बातें करना मुझे पिटवा भी सकता है। देखिये न , मैं ट्रैवल पर लिखने वाला बंदा आज आपसे राजनीति , देश , आर्मी और युद्ध की बातें करने जा रहा। वैसे मेरा कोई अनुभव नहीं है इन चीजों में तो अगर आपको सही न लगे तो अपनी राय आप मुझसे सांझा कर सकते है। मैं मीडिया और कम्युनिकेशन का स्कॉलर होने के साथ साथ इसका प्राध्यापक भी हूँ। तो मैं आपको अपनी बात उसी तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा। हम आज जिस दौर में जी रहे वो सोशल मी...