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किस्सा कहानियों का: पहली कड़ी।

कहानियाँ जिंदगी का अटूट हिस्सा होती हैं। कहानियों में ही हम और आप खुद को ढूंढते है। बचपन से ही हम कहानियों के शौकीन रहे है। मुझे भी हमेशा से ही कहानियों ने अपनी तरफ आकर्षित किया है। काफी दिनों से मैं एक कहानी पर काम कर रहा था। अब जाकर मेरी कहानी हो आकार मिला है। ये कहानी है विकास और नेहा की। विकास झल्ला है और नेहा शांत। कहानी कई हिस्सों में आगे बढ़ती है। कहानी का पहला हिस्सा आपके सामने है। अगला हिस्सा कुछ दिनों में आपसे सांझा करूंगा। पहली कड़ी ट्रेन धीरे धीरे अपनी गति कम कर रही थी। 3 दिन से भाग दौड़ से इतना थक गया था विकास की सोने का वक़्त ही नहीं मिला। थके भी क्यों न , 3 दिन में 5 शहर जाकर आना मामूली बात थोड़े न है। अपनी जिंदगी में इतना उलझ चुका था की अब इसी को नियति भी मान बैठा था। सोचता की जो हो रहा होने दो , देखते है कब तक होता है। दिल्ली आने वाली थी और उसे भी यही उतरना था पर इतनी गहरी नींद में सोया था की आज तो किसी और स्टेशन पर ही उतरेगा। भाई साब , ओ भाई साब , दिल्ली आ गयी , यही उतरना है न आपको। एक आदमी विकास को उठाने की कोशिश कर रहा था। रात को नीचे वाले को बोल कर सो...