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चलिये अब कश्मीर हमारा हुआ।
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शाम ढलने को थी। वक़्त करीबन करीबन 6:30 बजे का होगा। ऑफिस से निकलकर मैं बाइक से अपने घर जा रहा था। बारिश का मौसम है और जब निकल रहा था तो हल्की बूँदा बाँदी हो रही थी पर बीच रास्ते आते आते बारिश की उन हल्की बूंदों ने जबर्दस्त रूप ले लिया था। देखा की रोड की साइड में एक चचा ने चाय की टपरी खोल रखी है और बारिश ने उनकी टपरी पर 8-10 लोग भेज रखे है। मैंने बाइक साइड में की और उनमे शामिल हो गया। चचा ने चाय के साथ वडा पाव का भी डेरा वही जमा रखा था। दिल खुश हो गया था। मैंने एक हाथ में वडा पाव और दूजे में चाय का कप लिया , वही कहीं साइड में बैठ गया। अब आप बोलेंगे , फालतू फोकट का टाइम वेस्ट कर रहा , मेरे टाइटल में और ऊपर के सीन में जमीन आसमान का फर्क है। लेकिन हुज़ूर , थोड़ा माहौल तो बनाना ही पड़ता है , थोड़ी भूमिका भी बनानी पड़ती है। आज का तो ट्रेंड ही यही है। वैसे मेरे इस ब्लॉग में माहौल जरूरी भी है क्योंकि अब मैं जो कुछ भी लिखुंगा , हो सकता है वो पढ़ते पढ़ते आप मुझे एंटि गवर्नमेंट या एंटि नेशनल का तमगा भी दे दे। आप ये भी बोल सकते है की पाकिस्तान क्यों नहीं चला जाता। आप बोल सकते है सेना मुझे गोल...